खुल कर बातें यार करें
ग़ज़ल*भारती शर्मा

ख़ुद को यूँ तैयार करें
खुल कर बातें यार करें
आँख निशाने पर रख कर
सब सपने साकार करें
बैठा झूठ सिंहासन पर
सच कैसे स्वीकार करें
चोट लगे बेहद गहरी
लफ्ज़ इस क़दर वार करें
लौट रही हैं कुछ यादें
जीना ये दुश्वार करें
सन्नाटा-सा पसरा है
चल फिर कुछ तक़रार करें
चाहत के इस दरिया में
मिलकर बेड़ा पार करें
*भारती शर्मा, अलीगढ़
बहुत सुंदर ✒️