जमीं पर हो कदम,आसमां की बात करो
कविता *डॉ साधना गुप्ता

जमीं पर हो कदम ,आसमां की बात करो
कल्पना को दो पंख ,कर्म संग तुम बढ़ो
शक्ति संग शोभती क्षमा, शक्तिवान अब बनो
शक्तिहीन रहकर,यों न निराशा को गहो
आत्मशक्ति जाग्रत कर,स्वरक्षा में सक्षम बनो
कन्या दान की नहीं वस्तु,दुनिया को दिखला दो
सौभाग्यकांक्षी-सौभाग्यवती के अंतर को मिटा दो
तोड़ विज्ञापन की कारा,देह -दर्शना न बनो
शालीन हो आचार-व्यवहार,परिधान भी पहचान हो
कमल-पत्र सम स्निग्ध ,आचरण को तुम गहो
भोगवादी समलैगिगता को त्याग संयम गहो
वासना की दृष्टि को,उद्वाह से उन्नत करो
स्वत्व को अपनाओ नारी,न यों दुनिया से डरो
*डॉ साधना गुप्ता
झालावाड़, राजस्थान
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