बेटियाँ
*अब्बास खान संगदिल*
घर आंगन मे गौरैया सी फुदकती बेटियां
मॉ बाप के दुख दर्द मे साथी निभाती बेटियाँ
गुलशन की डाल डाल पे तितली सी मंडराती
धूम मचाती घर आंगन मे हंसती हंसाती बेटियां
मॉ बाप की आंख का तारा बनकर रहती है घर मे
रामायण गीता कुरआन सी दिल मे बसती बेटियां
देख बाप की आंख मे गुस्सा सहमी सहमी रहती है
रोज मोम की मानिंद रही पिघलती बेटियां
घर के जर्रे जर्रे मे रहती खुसियां बेटी से
भोर की पहिली किरण बनके जगमगाती बेटियां
करती रक्स घर मे खुसियां रहती बेटी जब तक घर मे
पीहर जाते वक्त संगदिल खूब रूलाती बेटियां
मॉ भवानी जगदम्बा काली सा रूप धरे
करने मर्दन दुश्मन का लेती जनम है बेटियाँ
*अब्बास खान संगदिल
हरई जागीर जिला छिंदबाडा म प्र
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