मैं बेवज़ह किसी पर वार नहीं करता
*डॉ. वासुदेवन शेष*
मैं बेवज़ह किसी पर वार नहीं करता
मैं अपनी हद कभी पार नहीं करता ।।
बड़ा बदनसीब होता है वो इंसान
अपने बुजुर्गों से जो प्यार नहीं करता ।।
देखता तो है वो नजर भर के
अपनी चाहत का कभी इज़हार नहीं करता ।।
मैं इन्हें अपनी जिम्मेदारी समझता हूँ
मैं रिश्तों का कभी व्यापार नहीं करता ।।
चलना हैं तो चलें सब हमारे साथ
वक्त कभी किसी का इंतजार नहीं करता ।।
अब जो हो गया, सो हो गया प्यारे
मैं कभी इस पर विचार नहीं करता ।।
*डॉ. वासुदेवन शेष, चैन्नई