हे राम तुम्हारी दुनिया में
कविता*अलका'सोनी'
हे राम
तुम्हारी दुनिया में
कैसी ये दुविधा छाई है
कितने रावण हैं घूम रहे
विकट समस्या आयी है
इन अंधेरी राहों में
बस तुम पर ही विश्वास रहे
थामे रहना पतवार हमारी
अब किस पर आस रहे
आज तुम्हारे पूजन को
कैसी मैं थाली लायी हूँ
फल, मेवे, मिष्टान्न मिले न
केवल खांड सजाई हूँ
कमल पुष्प मिल न पाये
दो सादे फूल ही लायी हूँ
जिस विध रखो हमें तुम
कब हमने अस्वीकार किया
आत्मबल मगर दो उनको आज
निज घर को छोड़ जिन्होंने
विष का दंश सहर्ष स्वीकार किया।
*अलका’सोनी’
बर्नपुर,पश्चिम बंगाल
CATEGORIES कविता
बढ़िया कविता है अलका जी