इंसानियत का आईना बन रहे हैं सेवा भावी लोग

लेख *रेनू शब्दमुखर
समाज के मानवीय गुणों से भरे लोगों को और उनके प्रणम्य कार्यों को इस संकट की घड़ी में हम सकारात्मकता पूर्वक ले, जिससे हम निराश न हो। कोरोना महामारी ने अपनी चपेट में ले आज सारे विश्व को गहन संकट में डाल दिया है। इसी बीमारी से बचने का एकमात्र रास्ता एक दूसरे के सम्पर्क में न आये व दूरी के अलावा कोई दूसरा हमारे पास विकल्प भी नही बचा। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन का जो साहसिक कदम उठाया है,वह पूरी तरह प्रसंसनीय व प्रणम्य है।
ऐसे में जरूरतमंदों व गरीब वर्ग सबसे ज्यादा मुश्किल में आया पर कहना न होगा कि सरकार बीमारी की रोकथाम के लिए तो पुख्ता इंतजाम ही नहीं कर रही बल्कि इन लोगों को समय-समय पर भोजन के पैकेट और आवश्यक सामान उपलब्ध करवा कर सहयोग कर रही है साथ ही हमारे महान देश भारत की संस्कृति कि कही कोई भूखा न रहे वाली संस्कृति की पालना सरकार, विभिन्न संस्थाएं, लोग अपना दायित्व निभाते हुए जरूरतमंदों को खाद्य व अन्य जरूरत के सामान पहुँचाने में जुटी है, ताकि कोई भूखा न सोए। कही आज की पन्नाधाय वात्सल्य और मातृत्व प्रेम की मिसाल बनी कुछ महिलाएं अपने परिवार को छोड़ माँ की तरह अनाथ बच्चों पर अपनी ममता लूटा रही है,तो कुछ मास्क बना कर निशुल्क बाँट रहे है।
वाकई कोरोना संक्रमण की भयावहता के बीच उन स्वयंसेवी ओर समाजसेवियों की सराहना की जाए जो निस्वार्थ भाव से कोरोना त्रासदी से जूझ रहे लोगों की यथासंभव मदद कर रहे है।कई ऐसे चिकित्सक है जो जोड़े के साथ यानि पति और पत्नी दोनों ही इस जंग में उतरे हुए है। संघर्षशील इस परिस्थिति में प्रशासन, पुलिस, चिकित्साकर्मी, स्वयंसेवी संस्थाएं, समाजसेवी और दानदाता संकटमोचन बन इस कठिन समय में इंसानियत का फर्ज भली भांति निभा रहे है। हजारी प्रसाद द्विवेदी की पंक्तियां जो हमेशा मुझे जीने को प्रेरित करती है- मेरे मन निराश होने की जरूरत नहीं है। अभी भी समाज में अच्छाई है, इंसानियत के फरिश्ते है जो देश के मुश्किल समय में बागडोर संभाले हुए है।
ऐसे में जब जिससे जो सहयोग हो रहा है वो दे तो फिर लोग घरों में रह कर पूरा-पूरा सहयोग दें क्योंकि इस घातक बीमारी से निजात पाया जा सकता है। घर में महफूज रह इसके व्यापक प्रसार को हरा कर अजेय जीत हांसिल कर फिर से सबके साथ हँस बोल सकते हो। पर अभी हम सब को बस मिलकर कोरोना को हराना ही एकमात्र उद्देश्य है। ऐसा पहली बार देखा कि पूरे देश का उद्देश्य एक है तो, फिर उस उद्देश्य को प्राप्त करने में सरकार का पूरी तरह से साथ देने में ही मतलब लॉकडाउन को कामयाब बनाने में ही समझदारी है।
*रेनू शब्दमुखर,जयपुर