कुंडी मत खड़काओ राजा

व्यंग्य*राजेन्द्र नागर'निरन्तर'
जब भी मैं यह गाना सुनता हूँ ‘कुंडी मत खड़काओ राजा,सीधे अंदर आजाओ राजा।’ तो मुझे नायिका की दूर दर्शिता पर नाज़ होने लगता है। वाह क्या इंटेलिजेंट लड़की है।यह गाना वैसे भी अब प्रासंगिक हो चला है।दरअसल प्रेमिका को शक है कि प्रेमी बाहर से आवारागर्दी करके आ रहा है । लिहाजा हो सकता है कि वह कोरोना वायरस के विषाणु लेकर आए।उसने यदि कुंडी को छुआ तो विषाणु कुंडी में लग जाएंगे।बाद में कभी जब घर के लोग कुंडी को छुएंगे तो उन्हें भी यह बीमारी पकड़ लेगी।घर वालों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक प्रेमिका के इस ज्ञान की सराहना तो करनी ही होगी।अब यह बात और है कि प्रेमी के अंदर आने के बाद वह पहले उसे डेटॉल से नहलाएगी।
आजकल कोरोना का बड़ा हल्ला है। चाइना भी गजब की चीजें लाता है।अबकी बार लाया है चाइना मेड मौत,जिसके फेल होने का कोई चांस नहीं।पर अपने को तो हर बात का धनात्मक पक्ष देखने की आदत है ना। मेरे विचार में भारत में जो सबसे बड़ा असर पड़ेगा वह होगा महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा पर।एक मीटर दूर रहने के सरकारी आदेश है।इसका असर जनसंख्या वृद्धि पर भी होगा। मैं हमेंशा जोर जोर से छींकता खांसता रहता हूँ। पड़ोसन सहानुभूति दिखाने चाहे जब आ जाया करती थी।अब डर के मारे आना तो दूर देखती भी नहीं है। पत्नी भी खुश और पड़ोसी भी खुश।
दूसरा फायदा यह है कि देश में जल्लादों की कमी है। क्यों न अपराधी को एक कमरे में बंद करके उसमें कोरोना के विषाणु छोड़ दिये जाए।सरकारी कार्यालयों में छुट्टी की समस्या खत्म हो गई है।खुशहाली का माहौल है। बस, ट्रैन में छीकते खांसते घुस जाओ,अपने आप जगह बन जाएगी। पर कभी कभी परेशानी भी हो जाती है। जैसे, शादी वाली रात को दुल्हन ने जैसे ही घूंघट उठाया,उसे जोर की छींक आ गई। दूल्हा तकिया उठाए बाहर भाग खड़ा हुआ।
शाम को होटलों व रेस्टारेंट में एकदम से बढ़ी हुई भीड़ को देखकर मैं हैरान था। मालूम हुआ महिलाओं ने कोरोना शब्द का जोरदार सन्धि विच्छेद कर लिया है ‘ काम करो ना’। हां एक बात और कहना चाहूँगा हमारे देश की महिलाओं को कोरोना का पूर्वाभास बरसों पहले ही हो चुका था। घूंघट व बुरका शायद इसी की देन रही होंगीं। लड़कियों ने भी आजकल नकाब रूपी कपड़े को मुंह पर बांधकर निकलना शुरू कर दिया है।
आजकल कोरोना से बचाव के कई तरीके अपनाए जा रहे हैं। हमारे देश मे कुछ भी हो सकता है।एक बाबा तो कोरोना का वायरस, झाड़ू से उतार देते है।वायरस भी सोंचता होगा मैं ये कहाँ आ गया ! जब उसे पता चलेगा कि झाड़ू रूपी हथियार से अच्छे अच्छों के भूत भाग जाते है तो फिर कभी वह भारत का मुंह नहीं करेगा।
जो भी हो खुले में शौच न जाने और स्वच्छता की आदत डलवा कर प्रशासन अब हाथ धुलवाने की आदत की सीख भी दे रहा है। हाथ मिलाने के बजाए नमस्ते सिखाया जा रहा है। पूरा विश्व हाथ जोड़कर अभिवादन कर हमारी भारतीय संस्कृति को सीख रहा है।धन्य भाग हमारे जो कोरोना पधारे।
*राजेन्द्र नागर’निरन्तर’,उज्जैन